उल्हासनगर : हरेश अशोक बोधा
उल्हासनगर विधानसभा में विधानसभा चुनाव से पहले विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में नेतृत्व संकट और गुटबाजी का मुद्दा तूल पकड़ता नजर आ रहा है। दशहरे के बाद महाराष्ट्र में चुनावी बिगुल बजने की संभावना है, लेकिन उल्हासनगर की प्रमुख पार्टियों में अध्यक्ष पद रिक्त होने से उम्मीदवारों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इन राजनीतिक स्थितियों का असर आगामी विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है। आइए जानते हैं प्रमुख दलों की स्थिति:
1. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) :
महाविकास आघाड़ी की अहम घटक पार्टी शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) के उल्हासनगर अध्यक्ष पिंकी भुल्लर के निधन के बाद से यह पद रिक्त है। पार्टी के आंतरिक कलह और गुटबाजी के चलते अभी तक नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई है, जिससे चुनाव के समय नेतृत्व संकट बढ़ सकता है।
2. शिवसेना (शिंदे गुट) :
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना (शिंदे गुट) में उल्हासनगर अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह भुल्लर महाराज थे, लेकिन पार्टी में गुटबाजी और अंतर्कलह के चलते उल्हासनगर की पूरी कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया है। नए नेतृत्व की घोषणा न होने से चुनावी तैयारियों पर असर पड़ सकता है।
3. रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले गुट) :
एनडीए के साथ जुड़ी इस पार्टी में उल्हासनगर अध्यक्ष भगवान भालेराव को पार्टी से निकाल दिया गया था, क्योंकि उनकी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ बढ़ती नजदीकियों को लेकर पार्टी ने सख्त कदम उठाए। कार्यकारिणी बर्खास्त की जा चुकी है, और अभी तक नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है।
4. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) :
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की उल्हासनगर अध्यक्ष पंचम ओमी कालानी हैं, लेकिन पार्टी के भीतर TOK प्रमुख ओमी पप्पू कालानी द्वारा महायुती उम्मीदवार श्रीकांत शिंदे का समर्थन करने से असंतोष फैला है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी नए अध्यक्ष और विधानसभा उम्मीदवार के बदलाव पर विचार कर रही है।
यदि इन पार्टियों ने जल्द ही नेतृत्व संकट का समाधान नहीं किया, तो आगामी विधानसभा चुनाव में उल्हासनगर के उम्मीदवारों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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