उल्हासनगर - हरेश अशोक बोधा
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में इस बार उल्हासनगर सीट पर एक बार फिर दो प्रमुख राजनीतिक परिवारों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। महायुति की ओर से भाजपा ने पांचवीं बार चुनाव लड़ रहे कुमार आयलानी को उम्मीदवार घोषित किया है, जबकि महाविकास आघाड़ी की एनसीपी (शरद पवार गुट) ने ओमी पप्पू कालानी को मैदान में उतारा है। यह मुकाबला न केवल राजनीतिक शक्ति का है, बल्कि वर्षों पुरानी प्रतिद्वंद्विता का भी है, जिसे स्थानीय जनता बड़े ही उत्सुकता से देख रही है।
कुमार आयलानी: पांचवीं बार मैदान में, जीत-हार की पुरानी दास्तान
कुमार आयलानी, जो पहले उल्हासनगर के महापौर और उपमहापौर भी रह चुके हैं, पांचवीं बार विधानसभा चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। 2004 में उन्होंने पहली बार पप्पू कालानी के खिलाफ चुनाव लड़ा था, जिसमें वे हार गए थे। दूसरी बार 2009 में उन्होंने कालानी को हराया, लेकिन 2014 में मोदी लहर के बावजूद वे पप्पू कालानी की पत्नी ज्योति कालानी से हार गए। पिछली बार 2019 मैं ज्योति कालानी से ही चुनाव में जीत गए थे, और इस बार वे पप्पू कालानी के पुत्र ओमी कालानी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।
ओमी कालानी: राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प
ओमी कालानी अपने पिता पप्पू कालानी की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए पहली बार विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं। पप्पू कालानी खुद दो बार उल्हासनगर नगरपालिका के नगराध्यक्ष और चार बार विधायक रह चुके हैं। उनकी मां, ज्योति कालानी, उल्हासनगर महानगरपालिका की महापौर, नगराध्यक्ष और स्थायी समिति की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। 2014 में ज्योति कालानी ने कुमार आयलानी को हराकर उल्हासनगर की पहली महिला विधायक बनने का गौरव प्राप्त किया था। ओमी अपने परिवार की इस राजनीतिक पृष्ठभूमि को संजोए हुए, चुनावी दंगल में उतरे हैं।
29 अक्टूबर को नामांकन, दिखेगा शक्ति प्रदर्शन
आगामी 29 अक्टूबर को उम्मीदवारों के फॉर्म भरने की अंतिम तिथि है, और उस दिन सभी पार्टियों की ओर से शक्ति प्रदर्शन देखने को मिलेगा। कई निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में उतर सकते हैं, जिससे मुकाबला और दिलचस्प हो सकता है। उल्हासनगर की जनता के बीच उत्सुकता चरम पर है कि इस बार उनके विधायक के रूप में कौन चुना जाएगा।
वर्षों पुरानी दुश्मनी का अंजाम तय करेगा उल्हासनगर का भविष्य
आयलानी और कालानी परिवार के बीच वर्षों से चली आ रही यह प्रतिद्वंद्विता इस चुनाव में निर्णायक मोड़ पर है। यह न केवल चुनावी टक्कर है, बल्कि दोनों परिवारों के राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई भी है। आने वाले समय में उल्हासनगर की जनता का फैसला इस चुनाव में इन दोनों परिवारों के भविष्य को तय करेगा।
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