गेम चेंजर साबित होगी लाडकी बहिन योजना, महायुति को ‘महिला शक्ति’ पर भरोसा, MVA ने भी माना लोहा


मुंबई : हरेश अशोक बोधा


केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के लोकतंत्र के सबसे बड़े महापर्व यानी विधानसभा चुनाव 2024 का शंखनाद कर दिया है। इसी के साथ महाराष्ट्र में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। ऐसे में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई सियासी गहमागहमी का केंद्र बिंदु बन गया है। इस बार देश को दिशा दिखाने वाले वैश्विक शहर मुंबई पर किसका कब्जा होगा? यह सवाल सभी के जेहन में उठने लगा है। इसकी समीक्षा करने पर प्रथम दृष्टया यही ज्ञात होता है कि राज्य और देश के दूसरे क्षेत्र की तुलना में जागरूक मानी जाने वाली महिला वोटर मुंबई तय करेंगी कि मुंबई में किसका सिक्का चलेगा?


महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में  राज्य की 4 करोड़ 66 लाख 23 हजार 077 महिला मतदाता  गेम चेंजर साबित होंगी। सत्ता में वापसी के लिए राज्य की सत्तारूढ़ महायुति की पूरी आस महिला शक्ति पर ही टिकी है। तो वहीं विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी के प्रमुख घटक दल शिवसेना (यूबीटी) के नेता व विधायक आदित्य ठाकरे भी कह रहे हैं कि उनकी सरकार लाडली बहन योजना को बंद नहीं करेगी।



15 अक्टूबर को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र विधानसभा का चुनावी कार्यक्रम घोषित कर दिया है। इसके बाद बुधवार को राज्य चुनाव आयोग एवं जिला निर्वाचन अधिकारी (मुंबई शहर व उपनगर) की मुंबई में अलग-अलग पत्रकार परिषद हुई।


जानिए राज्य के मतदाताओं की संख्या



राज्य चुनाव आयोग ने बताया कि महाराष्ट्र में कुल 9 करोड़ 63 लाख 69 हजार 410 मतदाता हैं इनमें 4 करोड़ 97 लाख 40 हजार 302 पुरुष हैं तो वहीं 4 करोड़ 66 लाख 23 हजार 077 महिला मतदाता हैं। जबकि 6,031 तृतीय पंथीय वोटर्स हैं।


इसी तरह जिला निर्वाचन आयोग (मुंबई शहर व उपनगर) के अधिकारी तथा मुंबई मनपा के आयुक्त एवं प्रशासक भूषण गगरानी ने बताया कि मुंबई में कुल 1 करोड़ 01 लाख 82 हजार 243 मतदाता हैं। इनमें 54 लाख 47 हजार 774 पुरुष तथा 47 लाख 33 हजार 395 महिला मतदाता हैं।


लाडकी बहिन योजना का प्रचार



महायुति के नेताओं का विश्वास है कि महिला मतदाता घर के पुरुष मतदाताओं को भी महायुति के उम्मीदवारों को वोट देने के लिए प्रेरित करेंगी। इसलिए महायुति सरकार ने बीते दो-तीन महीनों में अपनी महत्वाकांक्षी ‘लाडकी बहिन’ योजना के प्रचार के लिए भव्य आयोजनों पर खासा जोर दिया था।



सरकार खेल चुकी है बड़ा दांव



मध्य प्रदेश की पूर्ववर्ती शिवराज सिंह सरकार की लाडली बहन योजना विधानसभा चुनाव में गेम चेंजर साबित हुई थी। इसी सील मई-जून महीने में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव 2024 में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के बाद महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने ‘लाडली बहन’ की तर्ज पर ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिण’ योजना की घोषणा की थी। जिसके तहत महिलाओं को प्रति माह 1500 रुपए देने का ऐलान किया था।


इतना ही नहीं सरकार ने महिलाओं के लिए अन्नपूर्णा योजना तो वहीं बुजुर्गों, किसानों और शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए भी योजनाओं की घोषणा की थी। लेकिन सरकार का पूरा ध्यान महिला वोटरों पर ही केंद्रित रहा है। बुधवार को महायुति का संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि हमने राज्य की 2 करोड़ 30 लाख महिलाओं को लाडली बहन योजना के तहत अब तक करीब पांच महीने अर्थात नवंबर तक के पैसों का भुगतान कर दिया है।



महायुति का मास्टर स्ट्रोक



महाराष्ट्र सरकार की लाडली बहन योजना को विपक्ष भी महायुति का मास्टर स्ट्रोक मान रहा है। विपक्ष आरोप लगाता रहा है कि लाडली बहन के कारण सरकार की तिजोरी खाली हो गई है। सरकार दूसरे विभागों का पैसे रोक दिया है तथा सरकार के पास कर्मचारियों एवं ठेकेदारों को भुगतान के लिए पैसा नहीं है।


दिव्यांगों के लिए पूर्व में घोषित की गई योजनाओं का पैसा सरकार ने लाडली बहन के लिए खर्च कर दिया। लेकिन इसके बाद भी विपक्ष छाती ठोककर लाडली बहन योजना को बंद करने की बात कहने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है। कांग्रेस के नेता कह चुके हैं कि उनकी सरकार लाडली बहन की रकम बढ़ाकर दो हजार कर देंगी। जबकि सीएम शिंदे इसे हर महीने तीन हजार तक ले जाने की बात कह चुके हैं।


एमवीए सरकार में भी बरकरार रहेगी योजना



शिवसेना (यूबीटी) के विधायक आदित्य ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी सत्ता में आती है तो वह मौजूदा महायुति सरकार की ‘लाडकी बहिन’ योजना और मुंबई के प्रवेश बिंदुओं पर टोल न लेने के फैसले को बरकरार रखेगी।




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