नागपुर/अकोला : महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में प्रचंड जीत के बाद मुख्यमंत्री बने देवेंद्र फडणवीस ने स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर बड़ा बयान दिया है। अकोला में पत्रकारों से बातचीत में सीएम फडणवीस ने कहा, “स्थानीय निकाय चुनावों में गठबंधन का फैसला हमारे प्रदेश अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्ष और चुनाव समिति करेंगे। हमारी भूमिका स्पष्ट है कि हम महायुति के तहत चुनाव लड़ेंगे। कुछ स्थानों पर, जहां गठबंधन संभव नहीं होगा, वहां दोस्ताना मुकाबला होगा।” यह बयान ऐसे समय आया है, जब राज्य की तमाम पार्टियां स्थानीय निकाय चुनावों में अकेले उतरने की तैयारियों में जुटी हैं।
तीन चरणों में होंगे निकाय चुनाव
राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं। सूत्रों के अनुसार, राज्य चुनाव आयोग अक्टूबर 2025 में चुनावी कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है। चुनाव तीन चरणों में कराए जाने की योजना है:
- पहला चरण: उत्तर और दक्षिण महाराष्ट्र में मतदान।
- दूसरा चरण: विदर्भ, पश्चिम महाराष्ट्र और मराठवाड़ा।
- तीसरा चरण: मुंबई, ठाणे और कोकण क्षेत्र।
राज्य चुनाव आयुक्त दिनेश वाघमारे ने बताया कि प्रशासनिक और राजनीतिक योजनाओं के तहत 29 नगर निगमों, 257 नगर पालिकाओं, 26 जिला परिषदों और 288 पंचायत समितियों के लिए अक्टूबर में चुनाव संभावित हैं।
2011 की जनगणना के आधार पर वार्ड संरचना
वाघमारे के अनुसार, वार्डों की संरचना 2011 की जनगणना के आधार पर होगी, जिसमें कुछ क्षेत्रों में वार्ड सीमाओं और संरचना में बदलाव संभव है। चुनाव आयोग के सूत्रों का कहना है कि एक चरण में 1.5 लाख ईवीएम मशीनों की जरूरत होगी, लेकिन आयोग के पास केवल 65,000 मशीनें उपलब्ध हैं। इस कमी के चलते तीन चरणों में मतदान की योजना बनाई जा रही है।
गठबंधनों में बगावत का खतरा
स्थानीय निकाय चुनावों में महायुति और महाविकास आघाड़ी दोनों गठबंधनों के सामने बगावत का खतरा मंडरा रहा है। गठबंधन के तहत सीमित उम्मीदवार ही मैदान में उतर पाएंगे, जिससे असंतोष बढ़ सकता है। वहीं, अगर पार्टियां अकेले लड़ती हैं, तो विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मेहनत करने वाले नेताओं को अपनी किस्मत आजमाने का मौका मिलेगा। कुछ सीटों पर फ्रेंडली फाइट की भी संभावना जताई जा रही है।
2017 के बीएमसी चुनाव का उदाहरण
वर्ष 2017 के बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव में सभी प्रमुख पार्टियों ने अकेले चुनाव लड़ा था। इस बार भी कई दल स्वतंत्र रूप से उतरने की रणनीति बना रहे हैं, जिससे चुनावी मुकाबला और रोचक होने की उम्मीद है।
आने वाला समय रहेगा अहम
महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव न केवल राजनीतिक दलों की ताकत का इम्तिहान होंगे, बल्कि गठबंधनों की एकजुटता और नेताओं की महत्वाकांक्षाओं का भी लिटमस टेस्ट साबित होंगे। सभी की निगाहें अब राज्य चुनाव आयोग के अगले कदम और पार्टियों की रणनीतियों पर टिकी हैं।
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